मुख़्लिस का साया
कदम रखते ही सड़क पे फिक्र की बारिश हुई निकलकर घर से मैं बहुत पछताया,
पूछना जा के कभी उसूल वालों को दिखता हैं कैसा pमुख़्लिस का साया,
तक़दीर हैं या कोई चमत्कार वो समझे ख़ुद को गौहर मैंने हाथ जिसको भी लगाया,
जब अपने पे आई तो सब लुक छिप...
पूछना जा के कभी उसूल वालों को दिखता हैं कैसा pमुख़्लिस का साया,
तक़दीर हैं या कोई चमत्कार वो समझे ख़ुद को गौहर मैंने हाथ जिसको भी लगाया,
जब अपने पे आई तो सब लुक छिप...