...

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राह का मुसाफिर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
हम से पूछो हर मन मे प्रेम ढुंढ रहा कोई,
बुझती मशाल मे ज्ञान रूपी अग्नि फूक रहा कोई,
केसु के फूलों के रंग- सा चमक रहा कोइ,
राम राम की गूंज मे प्रेम याद दिला रहा कोई,
इस अंधेरी रात मे पूनम के चंद सा चमक रहा कोई,
इस चिलचिलाती धूप मे, ठंडी हवा के झोंके मिले है,
इस भटकती दुनिया मे, प्रेम का गीत सुना रहा कोई ||
© Ritik writes