...

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कैद,,,,
माज़ी के कुछ लम्हों में,,,
किताबे हयात के सफहों में,,
मेरी जिंदगी की किताब में,,,
मेरी ख्वाहिश में ख्वाब में,,
कुछ माहो साल ऐसे भी गुजरे हैं,,
जैसे हसीं मोती फर्श पर बिखरे हैं,,
जैसे फूल खिले हैं...