समझ
कोई बात मुझको भी तो समझ आए
किसी रात मुझको भी तो सुकूं आए
मै इस जहां की मक्कारी से घायल हूं
मुझे कोई आइना तो नज़र आए
कोई बात मुझको भी तो समझ आए ।
कुछ हसीन हैं तो उनको हुस्न या नशा है
कोई पैसे, रुतबे, मतलब में फसा है
मै खुद को कैसे बचाऊं इस जहर से
हो कोई दोस्त,तो ही मेरे करीब आए
कोई बात मुझको भी...
किसी रात मुझको भी तो सुकूं आए
मै इस जहां की मक्कारी से घायल हूं
मुझे कोई आइना तो नज़र आए
कोई बात मुझको भी तो समझ आए ।
कुछ हसीन हैं तो उनको हुस्न या नशा है
कोई पैसे, रुतबे, मतलब में फसा है
मै खुद को कैसे बचाऊं इस जहर से
हो कोई दोस्त,तो ही मेरे करीब आए
कोई बात मुझको भी...