...

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ख़्वाहिश
जी चाहता हैं कि कही दूर निकल जाऊं
किसी शांत वादी में
जहां मैं रहूं,सिर्फ मैं
जहां कि कोलाहल, पशु-पक्षियों की हो
जहां कि समां,शाम को और खूबसूरत हो
जहां की संगीत मेरे कानो से उतरकर मेरे दिल में समा जाए
जहां चारो तरफ देखूं तो आंखो को सूकूं मिल जाए
जहां से देखने पर क्षितिज पास ही नजर आये
जहां मुझे इस जमाने को देखने का एक नया नजरिया मिल जाये


© Danish 'ziya'