तुम्हें पुकारेगी रुक्मणी अब
शीर्षक- तुम्हें पुकारेगी रुक्मणी अब..
तुम्हें पुकारेगी रुक्मणी अब,
की अब तो राधा संभल चुकी है।
जो आसूँ निकले विरह व्यथा में,
वो आँसू राधा तो पी चुकी है।
की ये है राधा का प्रेम...
तुम्हें पुकारेगी रुक्मणी अब,
की अब तो राधा संभल चुकी है।
जो आसूँ निकले विरह व्यथा में,
वो आँसू राधा तो पी चुकी है।
की ये है राधा का प्रेम...