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# सपने
#सपने
मत देख सपने मेरे मै एक बाघी हूँ
लोग कहते हैं की मै मात्र एक बैरागी हूँ
मिलते नही मुझे वो जिनमे मैं बाकी हूँ
नज़रों में रकीबों की मैं एक पापी हूँ।
तेरे इश्क़ के ज्वर का मैं गंभीर रोगी हूँ
औषधी के रूप मे तुझे खोजता हुआ जोगी हूँ
धर्म-अधर्म, पाप-पुणय आदी का भोगी हूँ
मै देह भस्म रमाये अनंत काल का योगी हूँ।
मै वाकिफ था जिनसे ,उन रास्तों से अंजान हूँ
मै आज कल अपने ही विचारों से परेशान हूँ
छोङ चुका मोह प्रेम सब अब मैं निर्मोही हूँ
जिसकी कविताएँ गुनगुनाते हो तुम मैं वही हूँ।।
© Nitish Nagar
मत देख सपने मेरे मै एक बाघी हूँ
लोग कहते हैं की मै मात्र एक बैरागी हूँ
मिलते नही मुझे वो जिनमे मैं बाकी हूँ
नज़रों में रकीबों की मैं एक पापी हूँ।
तेरे इश्क़ के ज्वर का मैं गंभीर रोगी हूँ
औषधी के रूप मे तुझे खोजता हुआ जोगी हूँ
धर्म-अधर्म, पाप-पुणय आदी का भोगी हूँ
मै देह भस्म रमाये अनंत काल का योगी हूँ।
मै वाकिफ था जिनसे ,उन रास्तों से अंजान हूँ
मै आज कल अपने ही विचारों से परेशान हूँ
छोङ चुका मोह प्रेम सब अब मैं निर्मोही हूँ
जिसकी कविताएँ गुनगुनाते हो तुम मैं वही हूँ।।
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