...

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"स्वप्न साकार"
सपने पलते हैं, नन्हीं बूंदों नुमा,
पलकों से तकियों पे उतर,
मिलते हैं भोर और शामों में अक्सर।

वक्त के साथ बदलते हैं रूप अपना,
देर तक देखती हूं,
शायद पहचान पाऊं, उनका अर्ध...