मौत
लो आगया समझ में आज
कैसा मौत आने का राज़
होता नहीं पास कोई भी
होता दर्द जब बड़ा बेदर्द भी
ये शायद लेखनी है उस ईश्वर की
दूर होते हैं तब अपने सभी
हुआ ऐसा मेरी मां के साथ
हुआ ऐसा मेरे ससुरजी के साथ
चाहते रिश्ते जिन्हें उम्र भर थे
अंत...
कैसा मौत आने का राज़
होता नहीं पास कोई भी
होता दर्द जब बड़ा बेदर्द भी
ये शायद लेखनी है उस ईश्वर की
दूर होते हैं तब अपने सभी
हुआ ऐसा मेरी मां के साथ
हुआ ऐसा मेरे ससुरजी के साथ
चाहते रिश्ते जिन्हें उम्र भर थे
अंत...