...

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बागान
एक पतला सा तना निकल के आया, मिट्टी से,
इस बागान में,
उसमे एक फूल, प्यारा सा गहरे गुलाबी रंग का,
एक कली से निकलते हुए,
कुछ सिमटा सा था,
जिसकी एक एक पंखुड़ी खुलती गई, जैसे कोई नवजात शिशु अपने आंखे खोल रहा हो,
और पंखुड़ी खुलने के बाद ,
एक सुंदर सा फूल उस कली पे हमे दिखाए दिया,
जिस बागान के फूल पे भवरे, तित्तिलिया मंडरा रही है,
दूसरी डाली पे एक फूल खिल के मुरझा सा गया है
जैसे एक मृत देह में से आत्मा विलीन हो गई हो,
वो देखने में सिमटा सा लगता है,
वैसे जब वे खिलने वाला था,
अब वही कली, बागान से अलग,
हो गई है।
न जाता कोई उस बेरंग कली के पास जो कभी सुगंधित वह रंगीन थी,
बस धूल के समान वो भी साफ हो गई।
ये बागान में कली खिलती है और एक मुरझाती है,
एक खुशबु देती है तो एक नहीं,
एक रंगीन तो एक बेरंग
ये बागान।।
-Feel through words



© Feel_through_words