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दर्द-ए-दिल
इश्क़ ख़ामोश है, लब ख़ामोश हैं।
नजरें खामोश हैं, देख उन्हें आज धड़कनें भी खामोश हैं।
कभी उठते थे जो तूफ़ां दिल में, वो मनचले से मेरे अरमां ख़ामोश हैं।
बदली कुछ ऐसी रुत ज़िन्दगी की अपनी, हर एक पन्ना कोरा सा हो गया।
समेटे थे जो दिल में रंगीन सपने कभी, उनकी बेरुखी से न जाने कहाँ खो गया।
आलम बेवफ़ाई का ऐसा है हमदम का मेरे कि झूठी मोह्ब्बत से मेरे दिल का तार तार हो गया।
Glory♥️
© All Rights Reserved
नजरें खामोश हैं, देख उन्हें आज धड़कनें भी खामोश हैं।
कभी उठते थे जो तूफ़ां दिल में, वो मनचले से मेरे अरमां ख़ामोश हैं।
बदली कुछ ऐसी रुत ज़िन्दगी की अपनी, हर एक पन्ना कोरा सा हो गया।
समेटे थे जो दिल में रंगीन सपने कभी, उनकी बेरुखी से न जाने कहाँ खो गया।
आलम बेवफ़ाई का ऐसा है हमदम का मेरे कि झूठी मोह्ब्बत से मेरे दिल का तार तार हो गया।
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