...

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तेरे चरणों की पावन धूल से.....
हो तेरे चरणों की पावन धूल से ,
खिल जाऊं मैं तो फूल से,
इस दुनिया के सारे रंजो गम,
उड़ जाए तेरी एक फूंक से।।
मेरी बिगड़ी बना दे ,
मुझे गले से लगा ले ।।
ग़म की आंधियों को,
खुशियों की वजह बना दे..!
सुख का कमल खिला दे,
कोई तो राह दिखा दे।।
इस जीवन रूपी नांव का,
अब तो पतवार बता दे।।
मन के अंधियारे कोने में,
एक आश का दीप जला दे।।
आज तेरी परीक्षा हैं हे मां,
चाहे जला दे चाहे बुझा।।
बस इतना बता दे,
किस गुनाह की सज़ा दे रही हो मुझे,
बस इक बार हे जननी मेरी मुझे बेटी बुला दे।।
दुनिया के सारे रिश्ते झुठे,
एक तेरी मेरी प्रीत हैं सच्ची।।
आ के इक बार ज़रा देख ले,
कितने जुल्म सहे हमने।।
फिर भी तू क्यों नहीं देखती हैं मुझे..??
जाने कितने पाप किए ,
जो तेरी दया से दूर रहें..?
किरण