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दो चाणक्यों का संवाद

चाणक्य बोले अमित से, राजनीति का है खेल,
नीति और नीयत की रचना, कुटिलता का मेल।
अमित शाह ने कहा गुरुजी से, आपकी शिक्षा का मैं अधिकारी,
हर चाल, हर पैंतरे में, हूँ आपका आभारी।


चाणक्य ने कहा, राजनीति में, छल-कपट हो न मोल,
धर्म और कर्तव्य से, राष्ट्र राज्य का रखना आधार अनमोल।
अमित ने सिर झुकाकर कहा, गुरुजी आपकी आज्ञा मान,
देश की सेवा में करूंगा, हर नीति का दो ज्ञान।


चाणक्य बोले फिर से, एक और बात याद रखो,
जनता के मन की बात को, सदा सर आँखों पर रखो।
अमित ने मुस्कुराकर कहा, मैं आपके हर शब्द का दास,
जनता के सुख-दुख को समझ, करूंगा हर संभव प्रयास।

चाणक्य ने देखा उसमें, समस्याओं पर खेद,
भारत की भूमि पर अपमानित होते वेद।
अमित ने पूछा गुरु से, क्या और कुछ है बाकी ज्ञान?
चाणक्य ने कहा, आत्मा की सुनो, वही है सच्चा विज्ञान।

चाणक्य बोले अंत में, शक्ति और सामर्थ्य का ध्यान,
लेकिन कभी न भूलो, विनम्रता का मान।
शाह ने वचन दिया, गुरु को किया साष्टांग प्रणाम,
राजनीति में करूंगा कार्य, जो हो राष्ट्र का कल्याण।
#writicopoem #युगसंवाद @jahanvi @madhu
© Priyansh Honey Varshney