...

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मेरी हो तुम
गम है या खुशी है, पर मेरी जिंदगी हैं तू..
आफतों के दौर में, चैन की घडी हैं तू..
मेरी रात का चराग, मेरी नींद भी हैं तू..
मैं भौतिक की शाम हूं, रूत बहार की हैं तू..
दोस्तों के दरमियान, वजह-ए-दोस्ती है तू..
मेरी पूरी उम्र में, एक ही कमी हैं तू..
© parth