बचपन अपना टटोलता हूँ
आहटों से जिनके सारे, गूँजते थे घर के कोने।
खुशियों में खिलखिलाते, अनबनों में लग जाते थे रोने।।
उन यादों को समेटता हूँ, बिखरें मनकों को बटोरता हूँ।
इस मतलबी संसार मे मैं, बचपन अपना टटोलता हूँ।।
@Shivamsarle
#shivamiswriting
खुशियों में खिलखिलाते, अनबनों में लग जाते थे रोने।।
उन यादों को समेटता हूँ, बिखरें मनकों को बटोरता हूँ।
इस मतलबी संसार मे मैं, बचपन अपना टटोलता हूँ।।
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