...

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क्यूँ ।।
बादल नही आसमान भी साफ़
फिर ये अनजानी सी बारिश क्यूँ ।।
सारे रास्ते गलियां तो छोड़ आए
फिर बैरागी को बेचैनी क्यूँ ।।
उस दीदार के दरबार को तो भुल चुके थे
फिर वापस देखने की चाहत ही क्यूँ ।।
तेरा शहर तो कबका पीछे छूट चूका
फिर वापस तेरी...