भूल जाना मुझको, इक ख्वाब समझकर
भूल जाना मुझको, इक ख्वाब समझकर
ठोकर तो लगा दी है, संगे-राह समझकर
जिन्दगी में ऐसा नहीं के ग़म ही ग़म हो
कुछ दूर चला था मैं, तुम्हें अपना...
ठोकर तो लगा दी है, संगे-राह समझकर
जिन्दगी में ऐसा नहीं के ग़म ही ग़म हो
कुछ दूर चला था मैं, तुम्हें अपना...