...

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अब मुझ से रस्ते तय नहीं होतें
अब मुझ से रस्ते तय नहीं होतें
आओ अब किसी मंज़िल पे मिलते हैं ।
ले कर सारा ज़रूरी ये सामान
चलो कहीं नज़दीक़ ही चलते हैं ।

हर ज़िन्दगी एक सफ़र हो, ज़रूरी तो नहीं
हर रात यूँ बसर हो, ज़रूरी तो नहीं
ज़रूरी तो नहीं मेरा मुसाफिर होना
हर मोड़ से गुज़र हो, ज़रूरी तो नहीं ।

जो जितना चल चुका, वहीं ठहर जाए
अब दिन भी ढल चुका, वहीं ठहर जाए ।
दिन तो...