...

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khud ko dekho to Zara....
खुद को देखा तो जरा
कितने बदल गए हो

देखो वक्त कितना आगे बढ़ गया है
तुम क्यों अपने कल में ठहर गए हो

जो हुआ माना वो भुलाना आसान नहीं है
माना बीती बातों से तुम सहम गए हो

वक्त बुरा था तो अच्छा भी आएगा
यूं इस तरह क्यों तुम आगे बढ़ने से डर गए हो

माना भूले भुलाई नहीं जा सकती वह बातें
पर तुम खुद को मौका भी ना दो
यह तुम किस भरम में फंस गए हो

खुद को देखा तो जरा
तुम कितने बदल गए हो


© sandhya