...

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तुम
मैं नहीं तुम
और कोई नही
बस तुम
है ही नहीं तेरे सिवा कुछ अच्छा
बस मान लो ये तुम
न करो बात
न आओ पास
न आ स्वप्न सरिता कुंज गली में
बस आंखें जब तक खुली रहना वहीं
जब प्राण पखेरू हो तब भी रहना तुम
कुछ न समझना अब तुम्हारे सिवा
बस मुझको झूठा ही सही
अपना समझ लो तुम