...

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हिंदी
तुम प्रेम का वर्णन,
कवि की लेखनी का तेज
तृष्णा तृप्ति की एक आस,
मनांतर का श्वेत प्रकाश,
राधा के माथे की बिंदी,
तुम हिंदी हो ।
लिखी अगणित काव्यों में,
एक दानी का पुण्य धन,
शौर्य शोभित योद्धा की कृपाण,
साहित्य शिल्पी की पराकाष्ठा की आलिंदी,
तुम हिंदी हो ।

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© TofN