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बाढ़ की विभीषिका

© Nand Gopal Agnihotri

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प्रकृति हुई है क्रुद्ध मानव बौराया है,
अपने स्वार्थ अहं में खोया पृथ्वी को खूब सताया है।
विकास के नाम पर खुद ही विनाश की नींव रखा।
कहीं जल प्रलय मचा धरती पर,
कहीं पड़ा...