...

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हम स्त्रियाँ...
स्त्रियाँ...

बाथरूम मे जाकर
कपड़े भिगोती है
बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है
बाथरूम का फर्श धोती है
ताकि चिकना न रहे
फिर बाल्टी और मग भी मांजती है
तब जाकर नहाती है
और तुम कहते हो कि
स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है

स्त्रियां..
किचन में जाकर
सब्जियों को साफ करती है
तो कभी मसाले निकलती है
बार बार अपने हाथों को धोती है
आटा मलती है
बर्तनों को कपड़े से पोंछती है
वही दही जमाती , घी बनाती है
और तुम कहते हो
खाना में कितनी देर लगेगी

स्त्रियां..
बाजार जाती है
एक एक सामान को ठहराती है
अच्छी सब्जियों फलों को छाटती है
पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
चल देती है
भीड में दुकान को तलाशती है
और तुम कहते हो कि
इतनी देर से क्या ले रही थी

स्त्रियां...
बच्चो और पति के जाने के...