...

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#रहने-दिया
#रहने-दिया

जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
फ़िर भी जमाने ने हमें मुजरिम ठहरा दिया !

हर मोड़ पर लूटा गया इस जमाने से,
कभी अपनों ने भी ताने मारे किसी बहाने से,
हर अपवादों को मैं हँस - हँस कर सह गया,
बस एक यही गुनाह मैं हर बार करता गया !

हर एक पीड़ा ने मुझे राह नयी दिखाई है,
हर एक छल ने लोगों की नई तस्वीर दिखाई है,
कलेजे पर...