...

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आज का मानवी
आज का मानवी दया करना भुल गया,
पर दुसरो का उपयोग करना अच्छे से सीख गया,
मदद मांगने वाला यहाँ है लाचार,
और अच्छे से जानता है करना अत्याचार,
गरीब यहाँ भुख से मर रहे,
और अमीरों की भुख ही नहीं मर रही,
पशुओं को मार रहा और खा भी रहा,
पशुओं को बेचकर धन भी कमा रहा,
फिर भी ये खुद को ज्ञानी समझ रहा,
निर्दोष को सजा मिल रही,
और दोषी आझाद घुम रहे,
आधुनिक बनकर ये सरलता भुल गया,
औरत प्रसिद्धि और धन के लिए संस्कृति भुल गयी,
मर्द नशे मे चुर होकर औरत की ईज्जत करना भुल गया,
आसमान को छुने की ये बात कर रहा,
और धरती पर एक-दुसरे से लड रहा,
आज का मानवी खुद को भगवान समझ रहा,
पर मानवता क्या हे ये नहीं समझ रहा.

© the mystery man