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आप जैसे कितने सिकंदर आये गए...
जिंदगी में कितने बबंडर आये गए।
मुद्दत सी हो गयी मेरे घर आये गए।।
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मज़ाल जो आँखों से बाहर आ जाते,
दिल में कितने ही समंदर आये गए।।
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जिंदगी भर हुकूमत न रहेगी आपकी,
आप जैसे कितने सिकंदर आये गए।।
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मैं अब कभी भी हैरतज़दा नहीं होता,
ऐसे ना जाने कितने मंज़र आये गए।।
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हमें जेल जाने का खौफ़ न दिखाइए,
हम जंगे आज़ादी में अंदर आये गए।।
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कैसे ऐतवार करे 'सिफ़र' सज़दा करें,
आप जैसे हज़ारों कलंदर आये गए।।
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© संजय सिफ़र