...

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तुम्हारी मोहब्बत में।
तुम्हारी मोहब्बत में एक आशिया ना बनाया
ईंट, पत्थरो से नहीं जज्बातों से सजाया है,
है तो नहीं महलों सा घर मेरा,
प्रत्यक्ष पहुंचे तेरे दिल को इतना ही मुकाम बनाया है,
सबके जज्बातों को संभाल सकूं, इतना बड़ा मकान नहीं है मेरा।
चंद लम्हे तेरे साथ जीलूं इतना ही तो बड़ा मकान है मेरा।
हम दोनों की वफादारी नीव है हमारी।
बस कर ले एक दफा मोहब्बत हमसे फिर जिंदगी रहे या ना रहे हमारी।
© destiny_16.17