...

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प्रेम तड़प
नाम मोहब्बत का सुन कर मैं खुद को बदनाम करने लगा हूँ
इश्क़ के जिक्र से ही जतन ए ज़िंदगी तमाम करने लगा हूँ
तुझे छू कर खाई थी कसम की न बनूँगा तेरे बाप जैसा
पर आज देख न सांस लेने के लिए नशा सरेआम करने लगा हूँ

एक घँटे भी जो बीत जाते तो तुझे देखे ज़माना लगता था
मिनट भर पहले मुस्कराना भी पुराना लगता था
कैसी करवट बदली बहारों ने इन फिजा में
तुझे लाइव देखने से खुद को मरहूम करने लगा हूँ
तेरी बाइस बरस पुरानी फोटो को अब मैं जूम करने लगा हूँ
लिखने ज्यादा लगा हूँ आज कल वजह ये नही की
तेरे ख्याल ज्यादा आते हैं मुझे
वजह ये है कि मेरी उंगलियों में फंस के तेरी उंगलियां
मेरे नाखून कुरेदते नही अब वैसे
पहली मुलाकात में मेरी वजूद को रिक्शे में बैठ कर
तूने कुरेदा था जैसे