प्रेम तड़प
नाम मोहब्बत का सुन कर मैं खुद को बदनाम करने लगा हूँ
इश्क़ के जिक्र से ही जतन ए ज़िंदगी तमाम करने लगा हूँ
तुझे छू कर खाई थी कसम की न बनूँगा तेरे बाप जैसा
पर आज देख न सांस लेने के लिए नशा सरेआम करने लगा हूँ
एक घँटे भी जो बीत जाते तो तुझे देखे ज़माना लगता था
मिनट भर...
इश्क़ के जिक्र से ही जतन ए ज़िंदगी तमाम करने लगा हूँ
तुझे छू कर खाई थी कसम की न बनूँगा तेरे बाप जैसा
पर आज देख न सांस लेने के लिए नशा सरेआम करने लगा हूँ
एक घँटे भी जो बीत जाते तो तुझे देखे ज़माना लगता था
मिनट भर...