...

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अपना जीवन
वो एक फूल ऐसा भी
जो डाली से टूट कर
आया था किसी के हाथों में।

सोचा ना था उसकी मंजिल क्या है,
कभी किसी का श्रंगार बना
कभी किसी का प्यार
कभी सजा वह गजरे में,
कभी गले का हार।

किसी की मृत्यु शैय्या पर चढ़ता
तो कभी किसी की सेज सजाता
जीवन के उतार चढाव
यू ही चलते रहते हैं।
हम समझ नहीं पाते है।

अगले पल क्या हो जाए
सब किस्मत का लेखा हैं।

अंत में एक दिन जब
श्री चरणों में जगह वह पाता है,
अपनी मंजिल समझ गया वो,
उसका जीवन सफल हो जाता हैं।
✍️ranu
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