जिजीविषा
खामोशी भी अल्फाजों से सज जाती है,
जिजीविषा फिर जीना सिखाती है।
फस जाए कश्ती बीच सागर में,
ना हो कोई अपना साथ में ,
डर जाए मन भीषण...
जिजीविषा फिर जीना सिखाती है।
फस जाए कश्ती बीच सागर में,
ना हो कोई अपना साथ में ,
डर जाए मन भीषण...