॥परछाई॥
अंधेरी गलियों में
भटक रहा था
अनिश्चितता में
चल रहा था
दिल ना जाने क्यूँ
बेचैन सा था
शायद अकेलेपन से
डर रहा था
तभी कुछ दूर
रोशनी आयी
अंधेरों से निकल
परछाई मुस्कुरायी
लगा जैसे कुछ
कह रही हो
अपने...
भटक रहा था
अनिश्चितता में
चल रहा था
दिल ना जाने क्यूँ
बेचैन सा था
शायद अकेलेपन से
डर रहा था
तभी कुछ दूर
रोशनी आयी
अंधेरों से निकल
परछाई मुस्कुरायी
लगा जैसे कुछ
कह रही हो
अपने...