...

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लिखती हूँ ..
ख्वाबों,ख्यालों से निकाल कर तुम्हें,इस दिल में रखती हूँ,तुम्हें ज़र्रा ज़र्रा याद करके किताबों में लिखती हूँ !!

हर किसी से छुपी है बात मेरे दिल की, बस ये कोरे कागज ही है जिनसे, मैं अपने दिल की हर बात करती हूं,

तुम मेरे इन हाथो की लकीरों में ना सही,मगर तुम्हारे संग गुजरे कुछ पलों को संजों कर मैं इन किताबों में रखती हूं !!




© hema singh __