कोई तो हो
कोई तो हो जो हस्ते हुए मेरे घर आये कभी
कोई तो हो जो चार कांधो पे ना,अपने पैरों पर चलकर आये कभी
हैं होती रोज मुलाकात मुर्दो से मेरी , कोई तो हो वो जिन्दा जो पूछे मेरी ख़ैरियत कभी....
हाँ शमशान ही हैं घर मेरा, मुर्दो को भस्म करना ही हैं कर्म मेरा..
माना चिताओं से हूँ...
कोई तो हो जो चार कांधो पे ना,अपने पैरों पर चलकर आये कभी
हैं होती रोज मुलाकात मुर्दो से मेरी , कोई तो हो वो जिन्दा जो पूछे मेरी ख़ैरियत कभी....
हाँ शमशान ही हैं घर मेरा, मुर्दो को भस्म करना ही हैं कर्म मेरा..
माना चिताओं से हूँ...