बालमजदूरी- एक घातक समस्या
एक सुनसान सड़क से में जा रही थी,
वहां छोटी बच्ची हम सभी के कचरे का बोझ उठा रही थी।
फिर कुछ आगे चलकर उसके जैसे कुछ और बच्चों से मुलाकात हुई,
धूल और मिट्टी से भरे हुए चेहरे थे , पैरो में चपल नहीं थी और कपड़े अलग अलग जगह से फटे हुए थे।
कंधो पर उन्होंने हमारे बैग से भी भारे कचरों के कट्टे चके हुए थे,
आंसुओ...
वहां छोटी बच्ची हम सभी के कचरे का बोझ उठा रही थी।
फिर कुछ आगे चलकर उसके जैसे कुछ और बच्चों से मुलाकात हुई,
धूल और मिट्टी से भरे हुए चेहरे थे , पैरो में चपल नहीं थी और कपड़े अलग अलग जगह से फटे हुए थे।
कंधो पर उन्होंने हमारे बैग से भी भारे कचरों के कट्टे चके हुए थे,
आंसुओ...