अकेला चल
तन्हाई के सफ़र में मुस्करा कर चलो
सन्नाटा हो अगर तो गुनगुना कर चलो
सबकुछ समेट लो यहाँ बस वीरानें है
जो कुछ बचाया है सब लुटा कर चलो
कुछ का सफ़र ख़त्म है मंज़िल से पहले
कुछ ने हार मान ली मुश्किल से पहले
कुछ बस लाचार से रह गये...
सन्नाटा हो अगर तो गुनगुना कर चलो
सबकुछ समेट लो यहाँ बस वीरानें है
जो कुछ बचाया है सब लुटा कर चलो
कुछ का सफ़र ख़त्म है मंज़िल से पहले
कुछ ने हार मान ली मुश्किल से पहले
कुछ बस लाचार से रह गये...