मजदूर
आज मैंने देखा उस इन्सान को!
जो बिना सोए रात भर करता रहा काम
जैसे हो कोई वो भगवान ।।
अपने बच्चों के लिए अपने परिवार के लिए
अपने मां बाप घर संसार के लिए
परिवार को भर पेट खाना खिलाने के लिए
और कुछ पैसे कमाने के लिए ।।
निकल जाते हैं ये घर से कहीं दूर
खुद को इनसे बड़ा समझ कर
हम दिखाते हैं इन्हें अपना गुरूर
चुप चाप सहते हैं ये अपना अपमान इतने होते हैं ये मजबूर।।
क्यों हमें लगता है कि हम इनसे बड़े हैं?
आखिर दोनों इन्सान के पद पे ही तो खड़े हैं।।
एक बार सब ये सोचना जरूर क्यों लोग इन्हें छोटा समझते हैं
क्या इसलिए क्योंकि ये हैं बेसहारा और लाचार मजदूर ???
© Komal Mishra ✍️