बचपन की याद
कभी हंसना कभी रोना,
कभी रूठना कभी मनाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
मां की डांट खाकर भी
मां की गोद में ही छुप जाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
बाग में छुप छुप कर
मीठे आम तोड़ कर लाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
ना कोई शिकवा किसी से
ना कोई शिकायत करना
अपनी चीज़ देकर भी
ना कोई एहसान जताना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना..….
कभी रूठना कभी मनाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
मां की डांट खाकर भी
मां की गोद में ही छुप जाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
बाग में छुप छुप कर
मीठे आम तोड़ कर लाना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना
ना कोई शिकवा किसी से
ना कोई शिकायत करना
अपनी चीज़ देकर भी
ना कोई एहसान जताना
याद आता है मुझे
वो मासूम बचपन सुहाना..….