...

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dark....
मैं रोई उसके सामने उसने गले भी न लगाया,,,
मैंने कहा रोना चाहती हूं मैं,,,
उसने आगे बढ़कर अकेलापन पकड़ाया....
मैंने कहा उससे तूझसे मुझे प्यार और एहमियत नहीं मिलती,,,
उसने मुस्कुराकर अपना सर हिलाया,,,
दागदार कर दिया चरित्र मेरा और फिर मुझे जलाया...
अपनाया मुझे उजालों के खयालों में,,,
मैं आंखें बंद ही न करूं सपनों के डर से ऐसा सबक सिखाया...
हा न में उलझा कर रखा प्यार के लालच से,,,
हर पल वहम तोड़ा मेरा ,,, मुझे गलत बताया...
मुझे लाश बनाकर कहा उसने ,,, बस जा किसी और के साथ मुझसे बेहतर तुझे मिलेगा,,,,
उसने कुछ इस तरह मुझे दफनाया....
© vandana singh