मंजिल
होंसला दो किसी की टूटती हुई उम्मीदों को,
सहारा दो किसी के थकते हुए कदमों को,
जिद्द हो ऐसी जो आँधी में भी दिया जला दे,
जिद्द हो ऐसी जो अपने संघर्ष को मंजिल से मिला दे....।
© Thakuranmol
सहारा दो किसी के थकते हुए कदमों को,
जिद्द हो ऐसी जो आँधी में भी दिया जला दे,
जिद्द हो ऐसी जो अपने संघर्ष को मंजिल से मिला दे....।
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