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यह स्वतंत्रता पायी है
"यह स्वतंत्रता पायी है"

प्राणों की आहुति दे देकर,
स्वतंत्रता की लौ जलाई है।
भारत माँ की आज़ादी हित,
प्राणों की बाज़ी लगाई है,
लहू से अपने सींच-सींच कर,
अमर बेल उपजाई है।
तब जाकर अतुलित अतिपावन,
यह स्वतंत्रता पायी है।

अपनी झाँसी नहीं मैं दूँगी,
यह हुंकार लगाई थी।
अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते,
वीरगति को पायी थी।
मर्दों जैसी लड़ने वाली,
यह रानी लक्ष्मीबाई है।
तब जाकर अतुलित अतिपावन,
यह स्वतंत्रता पायी है।

तोड़ ग़ुलामी की जंजीरें,
हुआ देश आज़ाद जब अपना।
पन्द्रह अगस्त के अनुपम दिन,
पूर्ण हुआ जन-जन का सपना।
इस अनुपम सपने की ख़ातिर,
कितनों ने जान गवाईं है।
तब जाकर अतुलित अतिपावन,
यह स्वतंत्रता पायी है।"
©शैलेन्द्र राजपूत
15.08.2020

समस्त देशवासियों को
74वें स्वतंत्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएं!!😊