रात का मुसाफिर
रात के सन्नाटे में वो बालकनी में खड़ा था,
हाथ में सिगरेट, लेकिन जलाने का मन नहीं था।
ठंडी हवा चेहरे से टकरा रही थी,
पर अंदर एक अजीब सी तपिश जल रही थी।
फोन की स्क्रीन बार-बार चमकती,
लेकिन जिस नाम की उम्मीद थी, वो कभी नहीं आया।
कभी ये रातें किसी की बातें सुनते गुज़रती थीं,
अब बस...
हाथ में सिगरेट, लेकिन जलाने का मन नहीं था।
ठंडी हवा चेहरे से टकरा रही थी,
पर अंदर एक अजीब सी तपिश जल रही थी।
फोन की स्क्रीन बार-बार चमकती,
लेकिन जिस नाम की उम्मीद थी, वो कभी नहीं आया।
कभी ये रातें किसी की बातें सुनते गुज़रती थीं,
अब बस...