...

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तुम बिन .....
ख्यालों की दुनिया में तुम्हारा ही बसेरा है;
हर तस्वीर में अब तुम्हारा ही नजारा है;
तीव्र प्रवाह से बह रहा जीवन जल धारा में,
किनारा पाने को अब तुम्हारा ही सहारा है।

तुम बिन जैसे चंदन बिन पानी,
कैसे सज जाऊं मस्तक पर;
तुम बिन जैसे मुरली बिन तान,
कैसे सुर सजाऊँ अधरों पर।

तुम बिन जैसे मेहंदी बिन रंग,
कैसे खिल जाऊं हाथों पर;
तुम बिन जैसे जल बिन सागर,
कैसे इठलाऊँ साहिल पर।

साथ तुम्हारा पाने को बेचैन हर पल रहता हूँ;
तुम्हे मेरा बना दें रब,बस यही मांगता रहता हूँ;
जीत जाएंगे हम हर मुश्किल से,ऐ! हमदम
जीवन भर साथ रहूंगा तुम्हारे, ये वादा करता हूँ।
© pagal_pathik