शीर्षक: सत्य और झूठ
शीर्षक: सत्य और झूठ
सत्य कहूँ तो जग रूठे,
सत्य की राह कठिन होती।
झूठ कहूँ तो मन खट्टा हो,
सच में सुख कहाँ होती?
दोनों को खुश रखने का,
सत्य उपाय मैं खोज रहा।
पर सत्य और झूठ के बीच,
अपना धर्म मैं तोल रहा।
सत्य है सीधी...
सत्य कहूँ तो जग रूठे,
सत्य की राह कठिन होती।
झूठ कहूँ तो मन खट्टा हो,
सच में सुख कहाँ होती?
दोनों को खुश रखने का,
सत्य उपाय मैं खोज रहा।
पर सत्य और झूठ के बीच,
अपना धर्म मैं तोल रहा।
सत्य है सीधी...