...

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बरसात के कुछ पल
बरसात  के कुछ पलों को  समेट लू
उस बूंदा -बूंदी में खुद को पा लू
निर्मल पानी को पी जाऊ उस पल
कुछ पल सुकून के पल जी लू उस पल
   कर लू थोड़ा सा ख़ुद को खुश
खेल के उन बारिश की बूंदों से
  बरसात  के कुछ पलों को मैं समेट लू
छिपा लू अपने आँसू  बरसात की बूंदों से
बहा दु अपने दर्द बरसात की बूंदो से
  और बन जाऊ एक नदिया
  जो अपना मार्ग खुद बनाती
   जी लू कुछ बरसात के पल
ओर समेट लू कुछ बरसात के पल
बनके धारा उड़ चलू बादलों के संग
   फिर आ जाऊ बरसात की बूंद  बनकर
गिरकर किसी के चेहरे पर खुशी दे जाऊ
उसमें नवयौवन की नई तरंग दे जाऊ
   कुछ बरसात के पल को जीत जाऊ✍️✍️🌹

       डिंपल कुमारी✍️🌹


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