...

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पिघलते अरमानों का ये फ़साना है
पिघलते अरमानों का ये फ़साना है
ज़िन्दगी जैसे ग़मों का अफ़साना है

मुद्दतों से बैठा हूँ ग़म-कदे में अपने
अब मुझको न कहीं आना जाना है

इक नाज़ुक...