...

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मौत क्यों नहीं आती मुझको
सुनो अब तो लौट कर आ जाओ जाना
थक गया हूं तुझको याद करते करते

तेरी यादों की मोटी परत जमी है सीने पे
बरसों हो गए तुझसे इश्क़ करते करते

अक्सर गालों पे निशान छोड़ जाते हैं आंसू
कभी कभी रो देता हूं मैं हंसते हंसते

अब तक तो मेरा इश्क मुकद्दस हो गया होगा
हर पल गुजरता है तेरा नाम रटते रटते

इक अरसा हो गया है आईने में देखे खुदको
कब तक जिऊंगा खुद से डरते डरते

न जाने अब ये मौत क्यों नहीं आती मुझको
कितना वक्त हो गया रोज़ मरते मरते


© Aashutosh Shukla हिरण