...

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तन्हा भटक रही हूं
इस बड़ी सी ज़िन्दगी में कुछ ख्वाब लिए
अपने सपनों को पर देने में लगी हूं ।
हां मैं तन्हा भटक रही हूं ।।

खुद की पहचान बनाने के लिए
सब कुछ छोड़ कुछ बनने में लगी हूं ।
हां मैं तन्हा भटक रही हूं ।।

लोगों से दूर आंखो में नमी लिए
सबको चुप करने निकली हूं ।
हां मैं तन्हा भटक रही हूं ।।