...

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तुम कुछ भी बन जाओ..
दुआ बन जाओ, बद्दुआ बन जाओ,
दिल की धड़कन या रूह से जुदा बन जाओ,

दिल में हो न मेरे दिल बनकर,
तुम मेरी धडकनों की सदा बन जाओ।

सांस में बहते हो जो ख़ुशबू की तरह,
तुम ही मेरे भीतर की हवा बन जाओ।

तुम जान से प्यारे, जिंदगी हो मेरी,
भले मौत बनकर ही खुशी, वफा बन जाओ।

कुबूल किया दिल ने, हर जर्रे से तुझे,
आओ न अब, तुम ही मेरे खुदा बन जाओ।

सोचता हूं, उम्र तेरे पास ही ये बीते,
बची हुई उम्र की राह की तुम सतह बन जाओ।

चलो न साथ दुनिया के दस्तूर तोड़कर अब,
तुम मेरी दुनिया की अब हर जगह बन जाओ।

उम्र के अंत तक तेरा साथ दूँगा हर पल मैं,
तुम् मेरी उम्र की अब वजह बन जाओ।

मालूम है न तुम्हें, तुझ बिन जीना बहुत भारी है,
मैं जी लूँ जिन्दगी, और तुम वजह बन जाओ।

एक सांस भी भारी है तेरे बिना, तुम् हो जिंदगी,
मौत से पहले की तुम बस जगह बन जाओ।

© D.B.Muskan