...

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pyar
मेरी तड़प दिल मे दफना के
किया तुमसे बेइंतहा प्यार सब कुछ भुला के !
क्यों तेरे साथ रह कर भी तन्हाई मिली
मांगी जो वफ़ा तो जुदाई मिली !
कहाँ रोये कहाँ चिल्लाये
ये दिल को कैसे समझाये !
कि तुमने तो महफिल फिर से सजा ली..
तेरे सितम को प्यार समझ के सहते थे..
तू है सिर्फ मेरा इसी गलतफहमी मे ख़ुश रहते थे..
सपने दिखा के क्यों सपने तोड़ दिए
यु हाथ थाम कर किस के सहारे छोड़ दिए !