Goodbye ...
घने कोहरे की चादर ओढ़े
पत्तों से गिरती वह मोती सी ओस की बूंदे
भीगा मन को पौष से पौष के दौर में
क्या आया हिस्से मेरे ..बीतते वक्त के साथ
यह सवाल रह जाएगा..!
ज़हन में मेरे बस यह की
मुद्दतों बाद कुछ किस्से आए हैं
कुछ मिन्नतें मुकम्मल हुई ..
कुछ अधूरे ख्याल भी ..
चाहकर भी ना मिल पाया कभी कुछ
कभी ना सोचे भी मिल गया बहुत कुछ
गुज़रते पलों की खूबसूरत यादों का ये सिलसिला था..
पर कुछ...
पत्तों से गिरती वह मोती सी ओस की बूंदे
भीगा मन को पौष से पौष के दौर में
क्या आया हिस्से मेरे ..बीतते वक्त के साथ
यह सवाल रह जाएगा..!
ज़हन में मेरे बस यह की
मुद्दतों बाद कुछ किस्से आए हैं
कुछ मिन्नतें मुकम्मल हुई ..
कुछ अधूरे ख्याल भी ..
चाहकर भी ना मिल पाया कभी कुछ
कभी ना सोचे भी मिल गया बहुत कुछ
गुज़रते पलों की खूबसूरत यादों का ये सिलसिला था..
पर कुछ...